चोद्काम पढ़ने वालों को चूतनिवास का लौड़ा इकतीस बार तुनक तुनक कर अभिवादन!
चूत चुदाई ना होने से परेशान माया
चोद्काम में मेरी कहानियाँ प्रकाशित होती रहती हैं। पिछली कथा प्रकाशित होने के बाद मेरे पास कई लड़कियों के मेल आए, जिनमें एक का नाम है माया मिश्रा, वह मथुरा की रहने वाली है जिसके पति ज़्यादातर दौरे पर रहते हैं और यह 34 साल की महाचुदक्कड़ बेचारी घर में बिना चुदे बहुत परेशान रहती है। Hindi sex stories nancy-aur-anam-ka-madhur-milan, Hindi sex kahaniya ek anjaana ek anjaani, gujarati sex story, Hindi Font Sex Stories, Hindi Sex Khaniya, Hindi Sex Stories, Hindi Sex Story, Indian sex kahani, Indian Sex Stories, sexy bhabhi, Bhabhi aur uski chuddakad Saheli ki Chudai, Hindi Sex kahaniya facebook friend ki jaal me chudai, senior student ki choot, Student Sex stories. Hindi sex stories lady jasoos ki chudai, Lesbian sex, lesbian ladkiya, lesbian kahaniya, Jija sali ki chudai, Hindi sex story jiju ki sex leela aur meri tadap, Hindi sex story jija ka pyasa land sali ki tadapti chut,
लिखती है- चूत निवास जी, मैं आपके चुदाई के अनूठे स्टाइल से बहुत प्रभावित हूँ और आपसे चुदना चाहती हूँ।
मैंने समझाया- माया, मेरी रानी बनने की कुछ शर्तें हैं, मामूली सी शर्तें हैं कोई बड़ी चीज़ नहीं है, और वो यह कि आपस में तू कह कर बात करनी होगी और आपस में दोनों एक दूसरे को गन्दी गन्दी गालियाँ देकर बातें किया करेंगे। इसके अलावा मैं तुमको माया रानी कहा करूँगा। तुम मुझे जो जी में आए कह सकती हो, वैसे सभी रानियाँ मुझे राजे कह के संबोधित करती हैं।
माया यह सुन कर खूब हंसी और बोली कि ये सब मंज़ूर तो है ही, बल्कि मस्त गालियों के साथ बातें करने में बड़ा मज़ा आएगा क्यूंकि मुझे भी गालियाँ देना बहुत अच्छा लगता है।
बस तो फिर रोज़ाना की मस्त गालियों से भरपूर चुदाई की बातचीत शुरू हो गई।
उसने दो ही दिन के बाद अपना मोबाइल नम्बर दे दिया और मेरा ले लिया, फिर ज़्यादातर व्हाट्सएप्प पर बातें होने लगीं।
वो बड़ी बेक़रार थी कि मैं मथुरा आकर उसको चोद दूँ मगर किसी न किसी कारणवश मैं जा न सका। सोच लिया था कि एक दिन उसको अचानक पहुँच कर हैरत में डाल दूंगा, उस सरप्राइज में चुदाई का आनन्द अलग ही आएगा।
मथुरा आने का बुलावा
एक दिन माया रानी ने फोन पर बताया कि वो एक सप्ताह के लिए घर में अकेली है, उसकी सास अपनी बेटी यानि माया रानी की ननद के घर आगरा गई है, वहाँ कुछ काम है।
मैंने फ़ौरन फैसला कर लिया कि कल ही मैं इस मादरचोद चुदास से मदहोश कुतिया के शहर मथुरा जाऊँगा। मगर उसको बताऊँगा नहीं। हरामज़ादी को जब सरप्राइज मिलेगा तो कितनी मस्त होकर चुदाई करेगी ! आह आह आह… बेटीचोद… ज़बरदस्त मज़े की अपेक्षा में लन्ड उछल पड़ा।
योजना के अनुसार अगले रोज़ मैं सुबह अपनी कार से निकल गया।
अभी मैं माया रानी के घर से एक डेढ़ घंटे की दूरी पर था कि माया रानी का फोन आ गया।
क्या क्या बातचीत हुई यह आप माया रानी की भाषा में थोड़ी देर में जानेंगे।
मुख्य बात यह है कि मिलन हुआ, चुदाई हुई, गांड भी मारी गई… तीन दिन मैं वहाँ रुका और जी भर के हरामज़ादी रंडी को चोदा।
तीसरे दिन चलने से पहले माया रानी ने मुझे बिठाकर अपनी कहानी लिखने को कहा।
जबसे लोगों ने बुलबुल रानी की कहानी पढ़ी है और उनके मालूम हुआ कि रानी ने बोल बोल कर कहानी लिखवाई थी तब से कई रानियों के दिमाग में यह कीड़ा घुस गया कि चुदाई के बाद कहानी अपने सामने ही लिखवाई जाए। बाद में न जाने कब नम्बर आये उनकी चुदाई कथा लेखनीबद्ध होने का।
माया रानी ने मुझे लैपटॉप पर बिठा दिया और बोलने लगी।
मादरचोद को हमारे मस्त मिलन का एक एक पल अच्छे से याद था। यह अलग बात है कि कहानी पूरी होते होते दो बार चुदाई और हो गई।
क्या करते, कहानी लिखने में हम दोनों ही बेहद उत्तेजित हो जाते थे।
यहाँ अब मैं अपनी वाणी को विराम देता हूँ और आगे पूरी गाथा अब माया रानी के शब्दों में पढ़िए।
भाषा उसकी है और मैंने केवल लैपटॉप पर टाइप किया है। कहानी पूरी होने के बाद मोना रानी के पास भेज दिया गया था जिसने बड़ी मेहनत से कहानी को कई बार पढ़ कर सब गलतियाँ सुधारीं।
धन्यवाद स्वरूप मैंने मोना रानी को भी अपनी कार में चोद दिया जैसे इस घटना में माया रानी के साथ किया था।
माया रानी के बोल
चुदास की तेज़ अग्नि ने मेरी नींद ही उड़ा दी थी।
राजे के संग दो दिन पहले स्काइप पर खूब मस्ती हुई थी, उस से मेरी चुदास कई गुना बढ़ गई थी।
आखिरकार मैंने लैपटॉप खोल लिया और राजे की पहली कहानी पढ़नी शुरू की। पहली दूसरी तीसरी कहानी पढ़ते पढ़ते तक मैं अनेक बार झड़ चुकी थी और अब थकान से लगता था कि नींद भी शायद आ जाएगी।
मैं कंप्यूटर बन्द करके आँखें मींच के बिस्तर पर लेट गई और धीरे धीरे अपनी भगनासा को उंगली से मसलने लगी।
लेटे लेटे मेरे मन में चूत निवास की चोद्काम में छपी हुई एक कहानी एक फिल्म की तरह चलने लगी।
यहाँ दोस्तो, आपको यह बता दूँ कि चूत निवास की कहानी तीन महीने पहले पढ़के मुझे इतना मज़ा आया था कि मैंने जोश में आकर उसे मेल लिखी और फिर कुछ हो दिनों में हमारी बातचीत बिल्कुल बेतकल्लुफ हो गई थी, वो मुझे माया रानी कहने लगा था और मैं उसे राजे…
आपस में खूब चुदाई की बातें हुआ करती थीं, गन्दी गन्दी गालियाँ भी खुल कर इस्तेमाल होने लगी थीं।
मेरा बड़ा दिल करता था कि वो मेरी जम के चुदाई करे जैसा उसकी कहानियों में बताया हुआ था।
मेरे कलेजे में दर्द उठने लगा कि उसकी रानियाँ चुदाई में कितना ज़्यादा मज़ा लूटती हैं। एक मैं हूँ कि मेरी तक़दीर सिर्फ चुदास की जलन झेलना लिखा है। काश कल रात मुझे राजे मिल गया होता तो रात भर बेहद मस्ती छनती।
कितना प्यार करता है वो अपनी रानियों से ! चूम चूम कर चाट चाट के रानियों को अनेको मर्तबा चरम सीमा के पार ले जाता है।
ये सब मन में चलते हुए न जाने कब आँख लग गई।
माया रानी का सपना
सपने में मैंने देखा कि चोद्काम में छपी एक कहानी (2 जुलाई 2016 चुदक्कड़ रंजना की रंगरेलियाँ) में जैसा हुआ था, वैसे ही मैं भी घर से निकल के पहले एक बाग़ में गई इस आशा में कि वहाँ कोई गुंडा मिल जाएगा और मुझे चोद के रख देगा।
मगर मुझे वहाँ कोई न मिला और फिर मैं जिस प्रकार कहानी में बताया गया था उसकी प्रकार बाग़ से निकल के हाईवे की तरफ चल दी और कहानी में लिखे अनुसार सड़क के किनारे गांड सड़क की तरफ करके सूसू की मुद्रा में बैठ गई।
परन्तु यहाँ से मेरा स्वप्न कहानी से भिन्न हो गया। मैं सुर्र सुर्र की आवाज़ से सूसू कर ही रही थी कि एक गाड़ी आकर रुकी।
मैंने गर्दन घूमकर देखा तो एक इन्नोवा गाड़ी थी।
गाड़ी का दरवाज़ा खुला और एक लम्बा तगड़ा आदमी उतरा, वो मेरे पास तक आया और बोला- मैडम, मैं आपको कहीं ड्राप कर दूँ? अकेली लड़की का इस सुनसान में घूमना सेफ नहीं है… कोई हादसा हो सकता है।
सुनसान सड़क पर मुलाकात
उसकी आवाज़ से मैं बुरी तरह चौंकी और ताज्जुब से मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।
यह तो राजे की आवाज़ थी।
इतनी बार फोन पर चुदाई की बातें कर चुकी थी कि फ़ौरन ही पहचान लिया। दिन में तो शक्ल से भी पहचान लेती मगर अँधेरे में सूरत नहीं दिख रही थी।
मेरी बांछें खिल उठीं और दिल कूदकर गले में आ गया। आज तो पक्के से चूतनिवास की चुदाई का मज़ा मिल ही जाएगा।
मैंने खड़े होते हुए जवाब दिया- राजे मां के लौड़े… मैडम गई बहन चुदाने… तू ये बता कमीने तू यहाँ क्या माँ चुदवा रहा है हरामी?
यह कहानी आप चोद्काम डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
राजे भौंचक्का सा रह गया जब उसने मेरी आवाज़ सुनी।
लेकिन मादरचोद ने फ़ौरन ही अपने पर काबू पा लिया और बोला- माया रानी… हरामज़ादी रंडी तू यहाँ… तूने बताया था आजकल तू घर में अकेली है तो मैं बेटीचोद तेरी चूत लेने यहाँ तेरे शहर आया। कोई होटल ढूंढ कर तुझे फोन करता… सोचा कि कुतिया को सरप्राइज दूंगा… बल्कि तूने ही मुझे सरप्राइज दे दिया कमीनी… चल घर चलते हैं।
इतना कह कर उसने मुझे कस में बाँहों में भींच लिया और मेरे मुंह से मुंह चिपका के लगा होंठ चूसने।
मैंने कुछ समय तक उसको होंठ चूसने दिए, फिर अलग होकर बोली- सुन कुत्ते.. घर बाद में चलेंगे… अभी मैं चुदास में पागल हुई पड़ी हूँ…. पहले मुझे गाड़ी में ही चोद दे… ज़रा सी भी देर न कर कमीने।
यह बोल कर मैं कार की तरफ चल दी।
राजे ने लपक के पीछे से मुझे पकड़ के गोदी में उठा लिया और कार तक जाते जाते उसने मेरे होंठों पर बीस तीस चुम्मे दाग दिए। बहनचोद गर्म गर्म प्यार भरे चुम्बनों ने मुझको टुन्न कर दिया।
सड़क पर चूत चुदाई
गाड़ी पर पहुँच कर राजे ने ड्राइवर को बोला- तू दूर जाकर बैठ जा आराम से, हमको अभी कुछ टाइम लगेगा।
लगता था वो हरामज़ादा राजे की सब हरकतें खूब जानता समझता है, बिना कुछ कहे उसने इन्नोवा के पीछे से एक स्टूल निकाला, डैश बोर्ड में से पिस्तौल निकाला और गाड़ी के आगे की तरफ चल दिया। करीब सौ डेढ़ सौ मीटर जाकर उसने स्टूल को रोड की साइड में कच्चे में लगाया और आराम से बैठ गया।
मैं अभी भी चूतनिवास यानी राजे की गोद में ही थी और वो अपना मुंह से मेरे चूचे कपड़ों के ऊपर से रगड़ रहा था।
ड्राइवर के दूर जाकर बैठते ही राजे ने कार का दरवाज़ा खोला और मुझे अंदर सीट पर पटक दिया।
मैं बोली- राजे बहनचोद, तू पीछे वाली सीट को पूरा लिटा दे और लेट जा उस पर… जल्दी कर कमीने… मुझे एक एक पल भारी हो रहा है।
राजे ने वैसा ही किया और सीट पर अधलेटा सा हो गया, उसकी टाँगें नीचे कार के फर्श पर थीं और हाथ सीट के इधर उधर लटके हुए थे।
मैं चुदास में व्याकुल झपट कर पीछे आई, झट से राजे की पेंट की बेल्ट खोल दी और उसके अंडरवियर सहित पेंट को खींच के घुटनों तक कर दिया।
हरामज़ादे का लौड़ा पूरा अकड़ा हुआ था, सुपारा फूला हुआ था।
राजे के सुपारे की खाल उसको पूरा नहीं ढकती थी बल्कि आधा टोपा नंगा रह जाता था। एकदम गुलाबी मोटा सा टोपा था उस मस्त लण्ड का… सात साढ़े सात इंच का तो होगा ही, अच्छा मोटा भी था।
सुपारे के छेद पे एक बून्द चमक रही थी जो मर्दों के लौड़ों पर चुदाई से पहले आ जाती है।
मैंने उंगली से उस मोती सी बून्द को उठाया और चाट लिया ‘अहहहह… आआआह्ह्ह बेटीचोद मज़ा आ गया… मैं तो पहले से ही चुदने को बेक़रार थी ही, यह लण्ड से निकली बूँद चाट के तो मेरी चूत में एक झन्नाटा हुआ और यूँ लगा कि चूत में लगी हुई भयंकर आग में घी पड़ गया हो।
मैंने जल्दी से लण्ड पे जीभ फिराई, एक दो पल सुपारा मुख में लेकर स्वाद चखा और फिर मैं राजे के ऊपर चढ़ गई, स्कर्ट ऊँची की, चूत लण्ड से सटाई और धम्म से लौड़े पे बैठती चली गई।
चूत रस से लबालब थी इसलिए पूरा का पूरा लण्ड आराम से जड़ तक घुसता चला गया।
मैं इतनी बुरी तरह से लण्ड प्यासी थी कि जैसे ही टोपे ने चूत के आखिर में टक्कर मारी, मैं ज़ोरों से स्खलित हो गई।
मस्ती में चूर होकर मैंने ऊँची आवाज़ में एक किलकारी मारी। यहाँ बियाबान में कोई सुन लेगा, यह तो खतरा था नहीं इसलिए मैं एकदम बेबाक थी और एक नहीं कई किलकारियाँ मार मार के अपने झड़ने का मज़ा लूटा।
इधर किलकारी बंद हुई उधर मैं फिर से चुदासी हो गई। लौड़ा चूत में लिए लिए मैं अब फुल कंट्रोल में थी। मेरे पैर नीचे अच्छे से जमे हुए थे और मेरे हाथ राजे की छाती पर।
धीमे धीमे चूत हिला कर आनन्द उठते हुए एक हाथ से कार के दरवाज़े का हैंडल और दूसरे हाथ से पीछे की दूसरी सीट का हत्था थाम कर मैंने खुद को बैलेंस किया, अपने पैर जूती से निकाले और टाँगें उठाकर दोनों पैरों से राजे का मुंह रगड़ना शुरू कर दिया।
ठरक से पगला कर मैंने पूरी ताक़त से पैर राजे के मुंह पर न सिर्फ रगड़े बल्कि पैरों से उसको चांटे भी लगा दिए।
मैं उत्तेजना से भरी हुई आवाज़ में राजे को गालियाँ देती हुई कहे जा रही थी- राजे माँ के लौड़े… ले बहनचोद चाट मेरे पैर… कुत्ते तेरी मालकिन के पैर हैं… अच्छे से चाटियो कमीने… सब धूल मिटटी साफ कर दे… सूंघ इन्हें मादरचोद… सूंघता जा चाटता जा साले.. आई न मेरी जूतियों की गंध हरामी? आया न मज़ा? सूंघ सूंघ कुत्ते सूंघे जा और स्वाद लिए जा.. तेरी माँ की चूत कमीने!
राजे को भी बड़ा मज़ा आ रहा था मेरे पैरों को चाटने में… उसने बड़े प्यार से मेरे पैर थाम लिए थे और स्लर्प स्लर्प स्लर्प करता हुआ चाट रहा था।
वैसे मेरे पांव गंदे थे नहीं मगर उसको टेस्ट करने के लिए मैंने बोला था कि धूल मिटटी चाट के साफ कर!
अँधेरे में दिखाई तो उसको दे नहीं रहा होगा।
हरामज़ादा पूरे नंबर से पास हो गया।
मैंने उसके मुंह में एक पांव का पूरा का पूरा पंजा घुसेड़ दिया, दूसरे पांव से उसकी नाक जोर से रगड़ी।
राजे खूब मदमस्त हो गया था, उसने चूतड़ उछाल के हौले हौले धक्के लगाने शुरू कर दिए। मैं चूतड़ आगे पीछे हिला रही थी और वो ऊपर नीचे।
क्या मस्त जुगलबंदी थी यारों ! बेटीचोद आनन्द के नशे में मैं ज़बरदस्त चूर थी।
राजे ने मेरे पैर अच्छे से चाट के तर कर दिए थे, वो उनको बार बार चूमते हुए तारीफ कर रहा था- माया रानी, तेरे पैर हैं या मलाई… आआ आआह्ह्ह्ह आआह्ह्ह… मादरचोद… आआह्ह्ह… माँ की लौड़ी… इनको मैं ज़िन्दगी भर चाटे जाऊँ… आआह्ह रानी… मस्त हैं मस्त… आ अब तेरे चूचों को थोड़ा मज़ा दे दूँ… बहन को लौड़ी कुतिया… आज तेरे मम्मों को मसल मसल के कुचला कर दूंगा रांड…आआह्ह्ह्ह आआह्ह…
उसकी जादुई जीभ ने कमाल कर रखा था, वो पैर चाट रहा था और मेरा मज़ा इतना बढ़ चुका था कि जिसकी कोई सीमा नहीं।
मैं अब उसके लौड़े पर तेज़ तेज़ हिलने लगी थी और वो भी मस्ती में टुन्न होकर चूतड़ों को ऊँचे ऊँचे उछाल के धक्के ठोक रहा था।
चूत से रस बेतहाशा बहे लगा था, फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक की ध्वनि की गूंज में हमारा मधुर संगम हुए जा रहा था।
मैं राजे को गलियाँ दे रही थी और वो मुझे! कुल मिलकर बहुत ही नशीला, मतवाला माहौल बन गया था।
मेरे सुन्दर पांव पहले किसी ने न चाटे थे। मैं यह कल्पना भी नहीं कर सकती थी कि सिर्फ पैर चटवाने से ठरक इतनी अधिक चढ़ सकती है।
फच्चक फच्चक फच्चक… फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक… फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक…
राजे ने मेरे पैर धीरे से अपने मुंह से हटाए, मैंने उनको फिर से फर्श पर टिका लिया जिससे मैंने धम्म धम्म धम्म ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा सकूँ।
तीव्र कामोत्तेजना की गर्म गर्म लहरें बार बार मेरे शरीर में ऊपर नीचे दाएं बाएं दौड़ने लगी थीं, मैं तपने लगी थी और अब बहुत तगड़ी चुदाई चाह रही थी।
तभी राजे ने सीट की बैक थोड़ी ऊपर की और हाथ बढ़ा के टॉप के भीतर मेरे नंगे दूध कस के पकड़ लिए।
पहले तो उसने उनको सहलाया, फिर उनको भौंपू की तरह दबाया।
आह्ह्ह आह्ह्ह आआह्ह्ह… तने हुए मम्मों को बड़ा आनन्द आया, मेरे जिस्म में ठरक की दौड़ती हुई लहरें और तेज़ हो गईं। तन्ना के मैंने आहें लेते हुए राजे को गन्दी गालियाँ देनी आरम्भ कर दीं।
तभी राजे ने बड़ी ताक़त से दूध जकड़ लिए। उसका मम्मे पकड़ने का स्टाइल ज़रा अलग सा था, अंगूठे निप्पल में घुसा दिए और उंगलियाँ फैला कर मम्मे के चारों ओर गड़ा दीं, इतने ज़ोर से भींचा कि मस्ती में मेरी चीख निकल गई।
उसके बाद राजे ने उसी प्रकार चूचियाँ जकड़े जकड़े मुझे उछालना शुरू किया।
मैं अब पूरी तरह उसके काबू में थी, वो दूधों से मुझे कुदवा के चोद रहा था।
खूब तगड़े धक्के लगने लगे, मैंने भी अपने आप को राजे के सामने समर्पित कर के खुद हो उसके हवाले कर दिया और मज़े से चुदने लगी।
अब हो यह रहा था कि राजे मुझे मम्मे से पकड़ के उछाल रहा था इसलिए मेरे बदन का पूरा वज़न मम्मों पे आता था। कुचमर्दन का यह तरीका लाजवाब था।
हर धक्के में चूत को ही नहीं मम्मे को भी मज़ा मिलता।
बुर से रस का प्रवाह बहुत तेज़ हो चला था, हर धक्के में काफी सारा रस लौड़े के साथ बाहर टपक पड़ता और जब लण्ड शट से घुसता तो यारो- फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक… फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक… फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक… धक्के पे धक्का आह हा आह हा आह्ह्ह… आह हा आह हा आह्ह्ह और फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक….फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक… फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक… राजे कुत्ते तेरी माँ को चोदूँ… आहहह… भोसड़ी के आज दम निकल जाने दे साले चोद चोद के… हाय हाय हाय बड़ा मज़ा आ रहा है बेटीचोद… आह आह आह…राजे माँ के लौड़े कमीने…साले तेरी बहन को चोदूँ आह आह आह…
और यारो, माँ के लौड़ों फिर धक्के पे धक्का… और फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक.. फिर धक्के पे धक्का… और फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक फच्चक..
अब आनन्द मेरे सहन से बाहर हो चला था, मैंने राजे के बाज़ू थामे और दनादन पांच सात शॉट मारे।एक बिजली का करंट मेरे भीतर भागा और चिल्लाते हुए मैं ऐसी झड़ी जैसी जीवन में पहले कभी न झड़ी थी, बुर से रस का एक फव्वारा सा छूटा। रस निकल निकल के मेरी झाँटें, मेरी और राजे की जांघें खूब भिगो चुका था। हर धक्के में बड़ी लसड़ पसड़ हो रही थी जो आनन्द को और बढ़ा रही थी।
जैसे ही स्खलित होकर मैं निढाल हुई, राजे ने मेरे चूचे छोड़ दिए और मुझे खींच के अपनी छाती से लगा लिया।
फिर जो उसने शॉट पर शॉट पर शॉट ठोके हैं तो मेरा पूरा शरीर झनझना गया।
उसके ठोके हुए धक्कों के धमक मुझे सिर तक पहुँचती हुई महसूस हो रही थी।
यकायक राजे ने मुझको इतने ज़ोर से भींचा कि लगा सांस ही रुक जाएगी।
‘माया रानी… माया रानी… माया रानी…’ पुकारता हुआ वो एक बम फटने की भांति झड़ा, उसके मुंह से बड़े ज़ोर की आआआआआ.. माया रानी माया रानी माया रानी.. आआआआ आआआआ.. माया रानी माया रानी की आवाज़ें निकलीं।
साथ साथ लौड़े ने तेज़ तेज़ तुनक तुनक के ढेर सारा मक्खन मेरी चूत में बरसाना शुरू कर दिया।
काफी देर तक उसका माल निकलता रहा और झड़ना रुकते रुकते लण्ड भी मुरझा के चूत से फिसल आया।
झड़ते ही राजे की ज़बरदस्त पकड़ भी ढीली हो गई।
हालाँकि मुझे उसके सख्त आलिंगन में सांस लेने में दिक्कत हो रही थी परन्तु मज़ा बेहिसाब आ रहा था, मेरी आत्मा तक तृप्त लग रही थी, बदन की गर्मी निकल गई थी, मम्मे भी मुलायम हो गए थे और चूत महामस्त थी।
पहले तो मैंने लम्बी लम्बी सांसें लेकर फेफड़ों को शांत किया। फिर मुझे राजे पर इतना प्यार आया कि मैंने उसको बेतहाशा चूम चूम के अपना प्रेम और संतुष्टि जताई।
थोड़ी देर तक हम इसी तरह चुपचाप सुस्ताते रहे, फिर राजे ने मुझे होंठों पर चूम कर कहा- माया रानी… तू यार बहुत मस्त चोदती है कुतिया… बहुत मज़ा दिया तूने मादरचोद रांड… बहन की लौड़ी अन्य तू बाकी रानियों जैसी मेरी रखैल बन गई कमीनी..
स्वर्ण अमृत की धार
फिर से एक लम्बा चुम्बन लिया… उम्म्मआआआआ…
मैं भी मज़े में मस्ता उठी, फिर मैंने राजे को खुश करने की सोची जैसे मैंने चुदाई के टाइम उसके मुंह पर पैर रगड़ के, मुंह के अंदर पैर ठूंस के उसको ठरक से पागल कर दिया था।
मैं बोली- सुन बेटीचोद, मैं तो रखैल बनूँगी मगर हरामज़ादे तू मेरा ज़रखरीद गुलाम ज़रूर बन के रहेगा… अब सुन मेरा अगला हुक्म कुत्ते… उठ के गाड़ी का दरवाज़ा खोल और उतर के नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ जा… मुंह मेरी तरफ… समझा न बहन के लौड़े?
राजे ने ऐसा ही किया मगर नीचे बैठा नहीं और खड़े खड़े बोला- माया रानी, नीचे बैठूंगा तो पैंट पर मिटटी लग जाएगी न। अभी होटल में भी चलना है तो बुरा लगेगा गन्दी पतलून पहने हुए।
मैं तब तक सीट पर पलट के खुले दरवाज़े की तरफ मुंह कर चुकी थी। मैंने टाँगें आगे को पसारते हुए एक पैर राजे की गर्दन में फंसाया और दूसरे से उसके चेहरा को ज़ोर से रगड़ा- कमीने तेरी इतनी जुर्रत… तू अपनी मालकिन के हुक्म पर बहसबाज़ी करे… साले हरामज़ादे कुत्ते की औलाद!
मैंने अब दूसरा पैर भी उसके मुंह पर रगड़ा और फिर दोनों पैरों के तलवों से दो चांटे लगाए- अब चुपचाप बैठेगा या पैर मार मार के बहनचोद के टट्टे कीमा बना दूँ… याद रख मादरचोद तेरी औकात मेरे गुलाम की है… तेरी ज़िन्दगी का बस एक ही मक़सद है और वो है अपनी मालकिन के हर आदेश का बिना सवाल किये पालन करना… हरामी पिल्ले तू सांस भी मेरी इजाज़त के बिना नहीं लेगा… मैं करती हूँ तेरी पैंट का सत्यानाश… साले को पैंट की पड़ी है… बैठ भोसड़ी वाले… बैठ नीचे!
अबकी राजे बिना कुछ कहे धरती पर घुटनों पर बैठ गया और सिर झुका के बोला- जो हुक्म मेरी आक़ा… मेरी क्या हस्ती जो मैं अपनी मल्लिका की बात काटूं… मैं हूँ ना तेरा गुलाम… अब क्या हुक्म है इस कुत्ते के लिए?
‘हाँ अब तू आया लाइन पर… ख़बरदार जो दुबारा से ऐसी गलती की… बड़ी सख्त सज़ा दूंगी बहनचोद!’
मैं जानती थी राजे को गुलाम बनने में बेहद मज़ा आता है इसलिए मैं उसकी मालकिन का रोल निभा रही थी। ऐसे महान चोदू की तो कोई भी लड़की जीवन भर गुलामी कर ले।
मैं सीट से उतरी और गाड़ी के फर्श पर उकड़ू बैठ गई- ले भोसड़ी के, तेरी मालकिन तेरी चुदाई से खुश हकर तुझको इनाम देती है… ले मादरचोद ये मेरी अमृतधारा ले और मस्त हो जा कमीने।
मैंने सुर्र्र सुर्र्र सुर्र्र करते हुए सूसू, सॉरी यारों स्वर्ण अमृत, की धार राजे के ऊपर मारनी शुरू कर दी।
मैं चूतड़ हिला हिला के धारा छोड़ रही थी, राजे ने मुंह पूरा खोल लिया और एक प्यासे कुत्ते की भांति मेरा स्वर्ण रस पीने लगा।
सुर्र सुर्र सुर्र सुर्र… सुर्र सुर्र सुर्र सुर्र… सुर्र सुर्र सुर्र सुर्र… मेरी अमृत धारा राजे के मुंह पर, सिर पर और उसकी छाती पर जा रही थी। सुर्र सुर्र सुर्र… सुर्र सुर्र सुर्र सुर्र… सुर्र सुर्र सुर्र… राजे मस्त हुआ पिए जा रहा था, उसकी शर्ट भी भीग गई थी।
स्वर्ण रस जब ख़त्म हो गया तो राजे ने मेरी चूत से अच्छे से मुंह रगड़ा और फिर चूत, झाँटें और जाँघें चाट कर साफ कर दीं।
‘रानी तेरा स्वर्ण अमृत है की दारु का खज़ाना… कसम से मादरचोद रंडी… नशा आ गया… आह आह आह… बहुत मस्त ज़ायका… आहा आहा आहा… रानी ऐसा इनाम रोज़ रोज़ दिया कर न जानू!’
‘दूंगी कुत्ते, दूंगी… तू अच्छा गुलाम बन कर रहेगा तो दिन में कई कई बार इनाम मिलेगा… अगर बहसबाज़ी की तो सिर्फ पैरों से थप्पड़ मिलेंगे… अब सोच ले तुझे कैसे अपनी ज़िन्दगी बितानी है।’
‘रानी रानी रानी… मुझे तो थप्पड़ भी इनाम लगते हैं… तेरे रेशम जैसे चिकने और सुन्दर पैरों के थप्पड़ सज़ा कब से हो गए।’
‘चुप रह कमीने… ज़्यादा बक बक मत कर… अब उठ और बुला अपने उस हरामी ड्राइवर को… अब घर चलते हैं… पहले मुझको मेरे घर में चोद दे, फिर होटल जाएंगे… घर में तू अपनी शर्ट और मिटटी लगी हुई पैंट चेंज कर लियो… ठीक है माँ के लौड़े?
राजे ने कार की हेडलाइट जला दी।
ड्राइवर ने समझ लिया कि अब हम चलने को तैयार हैं, फटाफट आ गया।
कहानी जारी रहेगी।
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